सीमेंट या चूना क्या सर्वश्रेष्ठ

 भारत में प्राचीन काल में घर एवं  किले  चुने से बनाए जाते थे इसकी मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनेकों वर्षों बाद भी यह समय के प्रकोप से बचे हुए हैं।
इस नए युग में लोग इमारत बनाने के लिए सीमेंट का उपयोग करते हैं वैज्ञानिकों ने रिसर्च करके पाया है कि सीमेंट की उम्र 100 साल तक होती है वह भी उसके पूर्ण टुकड़े टुकड़े होने की उम्र है अगर उस में दरार आने को ही सीमेंट की उम्र माना जाए तो फिर सीमेंट की उम्र 5 साल भी नहीं है।
इसके विपरीत जो चुने से प्राचीन भारत में इमारतें और  किले बनाए जाते थे वह आज भी मजबूती के साथ खड़े हुए हैं इसका इसका कारण है उनका चूने से बनाया जाना क्योंकि चूने की उम्र 5000 साल कम से कम होती है और चूने में दरार भी नहीं पड़ती एक बार आपने पत्थर को चूने से जोड़ दिया तो पत्थर भले ही अलग हो जाए लेकिन उस चूने में दरार नहीं आती यह प्रकृति की मार को भी आसानी से हजारों सालों तक जेल सकता है।

बात करते हैं कि यह चूने से इमारत बनाना बंद क्यों हो गया। जब अंग्रेज भारत आए और यहां राज करने लगे तो उन्होंने भारत में चूना बनाना प्रतिबंधित कर दिया जिससे कि उनकी सीमेंट बनाने की  विदेशी फैक्ट्रियों को ज्यादा मुनाफा हो ।
चुना और सीमेंट एक ही  रॉ मटेरियल से बनते हैं जो है लाइमस्टोन इन अंग्रेजों ने यह लाइमस्टोन विदेश भेजकर और वहां से सीमेंट लाकर भारत में मकान बनाने शुरू किए और जो चूने का काम करता है या मकान बनाता था उसको दंड दिया जाता और सीमेंट से मकान बनाने वाले को प्रोत्साहित किया जाता इसीलिए चूने से मकान बनाना बंद हो गया।
भारत में अंग्रेजों के आने से पहले हर गांव में चूना बनाने की व्यवस्था होती थी जिसमें एक गोलाकार गड्ढे में चूने का पत्थर डाला जाता था और उस पर एक गोल चक्र बैलों के द्वारा घुमाया जाता था जिससे चूने का बारीक पाउडर बनता था और चूना बनाने के लिए उसमे दूध डाला जाता था ।यह तो हम जानते हैं कि भारत में कहा जाता है कि यहां दूध की नदियां बहती थी तो  इससे मतलब यह नहीं है कि दूध की नदियां बहती थी बल्कि इसका अर्थ है कि यहां दूध का अधिक उत्पादन होता था पीने के बाद भी दूध जो बच जाता था उसका इस्तेमाल अन्य कार्यों में करते थे जैसे स्नान करना चूना बनाना आदि इसकी कहावत भी है दूधो नहाओ पूतो फलो। जैसे दूध पीने से हम ताकतवर बनते हैं एवं हमें कैल्शियम और अनेकों विटामिन मिलते हैं वैसे ही यही दूध चूने में मिलकर उसकी ताकत बॉन्डिंग फोर्स बढ़ा देता था और इस से बनाए हुए केले मकान हजारों साल तक टिके रहते थे।
हमारे यहां चूना बनाने की इतनी आसान विधि थी और अंग्रेजों ने उसको प्रतिबंधित करके सीमेंट का प्रचार किया जिसकी बनाने की विधि बहुत ही जटिल है और उसको बहुत ही ऊर्जा की आवश्यकता होती है जबकि चूना बनाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती।
अब वक्त है हमारी भारतीय संस्कृति को अपनाने का और स्वदेशी वस्तु एवं प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने का।
जय हिंद जय भारत